जीवन की पहेली आत्महत्या से हल नहीं होती !! हमारा… पिछले कुछ सालों में हर किसी का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। इतनी व्यस्तता पहले कभी नहीं रही। ऐसा क्यों हुआ? सभी पद, धन, प्रतिष्ठा, धन के लिए दौड़ने लगे। लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि रुकना महत्वपूर्ण है। आप जितनी तेजी से दौड़ते हैं, जीवन उतना ही विपरीत दिशा में बहता है। कई लोगों को ऐसा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिलता है। यह समय के साथ होना तय है। समय आगे पीछे चलता है और जीवन की पहेली बार-बार उभरती रहती है। जीवन की इस पहेली को सुलझाने के लिए कुछ समय के लिए समय को पीछे जाने देना पड़ता है। समय के साथ जीवन की पहेली को सुलझाना आसान हो जाता है। समय कई सवालों का जवाब है।
जीवन की पहेली आत्महत्या से हल नहीं होती !! हमारी … लेकिन बहुतों को उस पल और अपनेपन का इंतजार करना मुश्किल लगता है। इसलिए, जीवन की पहेली को आधे में छोड़ना आत्महत्या के साथ है। ये क्यों हो रहा है? इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। ||| एक सुंदर, समृद्ध जीवन जीने के बजाय एक व्यक्ति आत्महत्या क्यों करना चाहता है? क्या वास्तव में आत्महत्या करने से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है? उत्तर अंतर्ज्ञान से आता है। लेकिन क्या यह सही है कि जीना बंद कर दिया जाए और आत्महत्या कर ली जाए? निर्माता ने सभी को एक सुंदर जीवन जीने का अवसर दिया है। मैं इस अवसर का लाभ उठाना चाहता हूँ और अपने जीवन के हर पल को अपने दिल की संतुष्टि के साथ जीना चाहता हूँ। हमें जीवन के हर सुख, दुख, संकट और सुख को समान तत्परता से स्वीकार करना है। उसके लिए मन के मूल को बहते झरने की तरह खुला छोड़ना पड़ता है । तभी मन सामान्य होता है और जीवन में कहीं जाता है।
जब मन मुक्त होता है तो हमें फिर से निर्भीकता से विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। कलाई में लड़ने की ताकत है और दिमाग में बढ़ने की ताकत है। जीवन में इन दोनों शक्तियों को प्राप्त करना आवश्यक है। केवल वे जिनका आत्म-सम्मान कमजोर है, वे ही आत्महत्या करना चाह सकते हैं। कोई व्यक्ति आत्महत्या क्यों करना चाहेगा? इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। आत्महत्या की जड़ों के बीच की दूरी मन के मूल से जुड़ी है। दिल की गहराई को पहचान कर जिंदगी और भी खूबसूरत हो जाती है। इन दोनों की गर्भनाल को व्यक्ति को स्नेह और स्नेह से पोषित करने की आवश्यकता होती है। मन की शक्ति को कोई जानता है? मन, मस्तिष्क और विचार ऐसे उपकरण हैं जो मानव जीवन को समृद्ध करते हैं। इन औजारों को हर पल जलाना है। … श्याम की मां से साने गुरुजी ने समाज को बहुत सुंदर विचार दिए। आज भी उनके विचार देखे जाते हैं। उनका अंत क्या था? मन को मजबूत करने की शिक्षा देने वाले खुद को खत्म कर लेते हैं?
सुशांत सिंह ने ऐसी फिल्में बनाईं जिनसे राजपूतों को सकारात्मक विचार मिले। लेकिन वह अपने जीवन को सकारात्मक बनाना भूल गया और आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। पर्व टिक टॉक स्टार समीर गायकवाड़ चव्हाण जैसे कई नाम दिए जा सकते हैं, जिन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। असफलता, हताशा, तनाव ने कई लोगों को आत्महत्या करने, गोली मारने, जहर देने और अपनी जान गंवाने के लिए प्रेरित किया है। और भी कई युवा उसी रास्ते पर खड़े हैं। उन्हें इतना बड़ा कदम क्यों उठाना चाहिए? कुल मिला कर इन लोगों का सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक जीवन भरपूर होगा..! लेकिन उनकी निजी जिंदगी जरूर दर्द भरी रही होगी. एक ओर तो धन, मान प्रतिष्ठा, अथाह होगी, लेकिन मन का दायरा और कांपना अचरज भरा रहेगा। … एक तरफ जीवन के उच्चतम शिखरों पर पहुंच गए होंगे, लेकिन दूसरी ओर, इसे कभी भी मन के मूल में प्रवेश नहीं करना चाहिए था। एक तरफ, उसने सुख, शांति, समृद्धि और खुशी का अनुभव किया होगा, लेकिन हो सकता है कि उसने इसे ऐसे जीवन में खो दिया हो जो अपनेपन और अपनेपन की बात नहीं करता है। मनुष्य का सतही रूप प्रबल हो सकता है, जीवन ऐसा ही है। हम जितना जीते हैं, उतना ही कम गिरता हैं। इसलिए अगर हम जानते हैं कि क्या लेना है और क्या छोड़ना है, तो ही जीवन आसान और खुशहाल हो जाता है।
इंसान का बाहरी रूप भले ही मजबूत हो लेकिन उसके दिमाग का मजबूत होना जरूरी है। चेहरे के भाव हमेशा एक जैसे नहीं होते। जीवन की पहेली उतनी ही है, जितनी चेहरे पर दिखती है। …खुश चेहरे का दुख दिल से जानना चाहिए। हमें अपनी निकटता के कारण किसी के साथ दो शब्द की बातचीत करने में सक्षम होना चाहिए। जीवन की पहेलियां सबके पास हैं लेकिन इन पहेलियों को सुलझाया नहीं जा सकता, इसलिए जीने को छोड़ने की जरूरत नहीं है। जहाँ भी आप सब कुछ छोड़ना चाहते हैं, वहाँ कोई है जो स्नेह के साथ आपका अनुसरण करेगा। फिर से नई उम्मीद के साथ..नई उम्मीद के साथ..नई जिद के साथ.. मैं तुमसे कहूंगा जीने को… आत्महत्या से जिंदगी की पहेली नहीं सुलझती। तो आत्महत्या के विचार के साथ जीवन की पहेली फिर से बढ़ रही है। यदि आप जीवन की पहेली को सुलझाना चाहते हैं, तो आपको आने वाले संकटों और समस्याओं का सामना करना होगा।
मन में यदि अवसाद, असफलता, चिंता है तो हमें दोस्तों के साथ एक-दूसरे के पास जाना चाहिए। दोस्तों और प्यार ने बहुतों को गले लगाया है। मन के भीतर से आशा का अंकुर फूटना चाहिए और जीवन फिर से सुंदर हो जाना चाहिए। जीवन की यह गुफा एक दुसरे के प्रति संजोए…बढ़े…खुशी और स्नेह की नमी से हल हो जीवन की आचार संहिता,इस पल से उस पल तक…आत्म-चेतना जीने के लिए! ज़ख्मों को दिल में क्यों रखते हो… क्यों परेशान होना? अपने आप को अकेला क्यों छोड़ें? खुद को मौका दो !! ‘
- सुजितकुमार उके (Founder, ABSSGB)
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