भारतीय संस्कृति में, विवाह को एक सामाजिक बंधन और एक संस्कार माना जाता है। पूर्व में शादियां बच्चे जब पालने में होते थे तभी हो जाती थीं। अब लड़की के लिए परिवार की पसंद के अनुसार शादी करना अनिवार्य नहीं रह गया है, अब लड़की की राय को ध्यान में रखा जाता है।आजकल, लड़कियां लड़को से अधिक शिक्षित हैं और अपने पैरों पर खड़ी है, लेकिन उचित रूप से बैंक संतुलन, घर उनके नाम पर हैं। और यहां तक कि स्वतंत्रता भी है, वे किसी चीज़ के बारे मे ज्यादा नहीं सोचते ओर बिंदास्त हो चुके है। उनकी Adjust करने की मानसिकता बदल रही है। नौकरी कर के घर के काम कौन संभालेगा ? घर की जिमेदारी कौन संभालेगा ? माता – पिता कम से कम वही तो हैं जो इसे समझते हैं। यहां दुसरे के घर जाने के बाद जैसे तैसे पति तो चल जाएगा परंतु सास-ससुर, देवर , जेठ़ानी। ननद ये सब कैसे होंगे ? और इन सबका क्यों करे ?? ये रवैया…बढ़ रहा है। पति मुझसे ज्यादा कमानेवाला हो.. घर खुद का हो…घर मे Facilities हो ओर साथ मे Freedom भी हो। यदि इस रिती से सब न हो तो उनकी शादी करने की मानसिकता ही नहीं होती।
लड़को का भी कुछ इस तरह ही है, कम पढ़े लिखे होंगे तो उनसे ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की या उनसे ज्यादा बडे पद मे होनेवाली लड़कियों को इन्कार कर देते है। क्योंकि उन्हें लगता है सारी जिंदगी झुकना पडेगा। आजकल Financial Status के कारण कम पढ़े लिखे लड़कियां भी नहीं चलती है, उनके जैसे ही माँडर्न हो मतलब कम भी नहीं ओर ज्यादा भी न हो। अभी IT Field टाँप पर है..बडा पगार…हफ्ते मे शनिवार – रविवार छुट्टी रहती है । बाकी समय मे यदि प्रोजेक्ट न हो, काँल न हो तो Hurray करते हूए इंजाय करते पाये जाते है…. आनंद लेने के लिए स्वतंत्र … अब उसका आनंद अक्सर मल्टीप्लेक्स में बैठकर फिल्में देखना, मॉल में शांत खरीदारी, होटल में बाहर खाना और एक साथ पीना ..क्योंकी आराम मिलता है … बेशक वेतन बहुत बड़ा है। चूंकि वेतन बहुत बड़ा है, जिम्मेदारी और काम बडा है .. इसलिए उन्हें अपने काम से आराम करने की जरूरत है .. संक्षेप में, वे अपनी पत्नी को इन सभी वातावरणों के अनुरूप पसंद करते हैं …नहीं मिली तो शादी करने की योजना नहीं बनाते… बल्कि, वे उनकी कंपनियों की लड़कियों के साथ या उनके जैसे ही अन्य लडकियों के साथ परिचय में समय बिताना पसंद करते हैं और भले ही उनका रिश्ता दोस्ती से परे हो।
कोई रिश्ता हो भी जाए तो ये लोग नहीं सोचते कि इसमें कोई हर्ज है…तो मैं आज उससे सहमत हूं, कल अगर मैं उससे सहमत नहीं हूं, तो दूसरा…ऐसा ही लड़कियों के विषय मे है…इसलिए शादी कर के एक ही व्यक्ति के साथ जिंदगी भर रहना इससे कुछ अलग Change वाली जिंदगी हो इसलिए शादी की मानसिकता नहीं रहती।
- सुजितकुमार उके (Founder , ABSSGB)
Absolutely right in this time of generation some people’s not ready to marriage and they are not interested to marriage relationship. 👏👏👏 This blog 💯% true for the coming generations and now also.